bhairav kavach No Further a Mystery
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नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।
सरकारी कामो में सफलता प्राप्त होती है।
यस्मै कस्मै न दातव्यं कवचं सुरदुर्लभम्।
यः इदं कवचं देवि चिन्तयेन्मन्मुखोदितम् ॥ २३॥
कूर्चद्वन्द्वं महाकाल प्रसीदेति पदद्वयम् ।
पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।
वैसे तो भैरव कवच का पाठ नित्य पूजा में बोलकर आसानी से किया जा सकता है, यदि कोई विशेष कामना हो, जैसे किसी तंत्र बाधा से रक्षा, परीक्षा में सफलता, चुनाव में विजय आदि तो इस विधि से भैरव कवच का पाठ करें।
पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः
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मन्त्रग्रहणमात्रेण भवेत सत्यं महाकविः more info ।
नागं घण्टां कपालं करसरसिरुहैर्विभ्रतं भीमदंष्ट्रं